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शनि राहु की युति बनाती है नन्दी योग
![](https://indoremirror.in/wp-content/uploads/2018/09/rahu-shani-563x353.jpg)
डॉ श्रद्धा सोनी
शनि के साथ राहुदेव की युति को ज्योतिष में नन्दी योग के नाम से जाना जाता है, उपरोक्त युति जिस भी भाव में बनती उस भाव से संबंधित कष्ट एवं जिस भाव पर दृष्टि डालती है उससे संबंधित शुभ फल प्रदान करती है, इसके फलस्वरूप जातक को सुख, वैभव एवं समृद्धि भी प्राप्त होती है |
शनि + राहुदेव की युति पर यदि मंगल का प्रभाव भी आ जाये तो ऐसा जातक साधारणतया क्रूर एवं आतंकवादी प्रवृत्ति का होता है, यह युति यदि लग्न में आ जाये तो जिन लोगों की कुंडली में यह योग बनता है, वह कभी व्यापार में उन्नति नहीं कर पाता। उसके समक्ष हर इंसान अपना सिर उठाता है, फिर चाहे वह ओहदे में बहुत कम ही ऑफिस या कोई भी अन्य व्यापारिक स्थल, हर समय वह सवालों के घेरे में रहता है और कोई भी उसे सम्मान नहीं देता और ऐसा जातक हत्या या आत्महत्या का प्रयास भी कर सकता है, लग्न में शनि + राहुदेव के फलस्वरूप क्षीण स्वास्थ्य, द्वितीय भाव में धनाभाव, तृतीय भाव में संबंधियों से विरोध, चतुर्थ में माता के लिये अशुभ, पंचम में सफलता में कमी, षष्ठ भाव में रोग, सप्तम में जीवन साथी से वैमनस्य, अष्टम में पैतृक संपत्ति प्राप्त करने में अड़चने, नवम में निर्बल भाग्य, दशम में व्यवसाय में परेशानी, एकादश में लाभ कम तथा द्वादश भाव में भी वैवाहिक सुख में कमी होती है |
ये हैं वैदिक ज्योतिष के उपाय
(1) शनिदेव के सामने तिल के तेल का दीपक जलाएं। तेल से बने पकवानों का भोग लगाएं तथा लोहे की वस्तु उन्हें अर्पण करें।
(2) राहू के अशुभ प्रभाव दूर करने के लिए तिल्ली की मिठाईयां और तेल का दीपक जलाएं। शनि तथा राहू की धूप-दीप से आरती करें तथा उनसे अपने कष्ट हरने की प्रार्थना करें।
(3) किसी मंदिर में स्थित पीपल के पेड़ में गंगालजल चढ़ाकर पीपल की सात परिक्रमा करें। इसके बाद अगरबत्ती तथा तिल के तेल का दीपक जलाएं।
गजेन्द्रमोक्ष स्तवन का पाठ करें। इससे भी तुरंत लाभ मिलता है।
(4) शनि और राहू दोनों को दूर करने का सबसे आसान तरीका है हनुमानजी की आराधना। रोज सुबह हनुमानचालिसा पढ़ कर हनुमानजी को प्रसाद चढ़ाएं तथा सच्चे मन से अपने कष्ट दूर करने की प्रार्थना करें। संभव हो तो मंगलवार तथा शनिवार को सुंदरकांड का पाठ करें।
(5) भगवान महादेव की आराधना भी समस्त ग्रहों की पीड़ाओं को हर लेती है। सोमवार को शिवलिंग पर जल चढ़ाते हुए ऊँ नमः शिवाय का जाप करें तथा पूरी श्रद्धा के साथ भगवान से अपनी समस्याओं को दूर करने की प्रार्थना करें।